वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी :-5:- शिक्षा या व्यापार
वार्षिक लेखन प्रतियोगिता कहानी:- 5:- शिक्षा या व्यापार:-
आज के समय में शिक्षा की स्तिथि सुधारते- सुधारते एक तरह से बेहद बिगड़ी हुई प्रतीत होती है। हमारी पुरातन संस्कृति में शिक्षा जितनी सुदृढ़ थी। आज उसका ढर्रा दिन - प्रतिदिन बिगड़ता हुआ ही नज़र आता है।
आज शिक्षा का स्तर बढ़ाने के चक्कर में हमने बच्चों की जीवन शैली एवम स्वास्थ पर भी काफ़ी बुरा असर पड़ रहा है। आजकल शिक्षा बुनियादी तौर पर कम और मानसिक तौर पर ज़्यादा दी जाने के कारण बच्चों की मूल प्रवृत्ति, जो कि मनुष्यता पर आधारित होनी चाहिए, कहीं न कहीं अपना अस्तित्व खोती जा रही है।
यह स्तिथि देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है, जैसे शिक्षा का एक बड़ा व्यापार बाज़ार में चल पड़ा है। उदाहरणतः यदि आपको आपके बच्चे को जितनी ज्यादा शिक्षा देनी है उतना ज़्यादा पैसा खर्चना पड़ता है।ऐसा प्रतीत होता है मानों शिक्षा को हम कहीं खरीदने निकले हैं।
पहले के समय में शिक्षा का स्तर समान होने के कारण एक राजा और जनता में कोई ज़्यादा भेद ना होने से राजा अपनी प्रजा एवम प्रजा अपने राजा से जुड़ी होती थी। दोनों ही एक दूसरे की परिस्थिति को भली भांति समझने में सक्षम होते थे। परंतु, आज की स्तिथि काफ़ी दयनीय लगती है। इस परिस्थिति को जल्द ही सुधारने की आवश्यकता है। ताकि हम हमारे समाज को एक परिपक्व, सुदृढ़ एवम सम्पूर्ण मनुष्य प्रदान कर सकें।
Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 05:24 PM
शानदार
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Swati Sharma
11-Mar-2022 09:26 PM
धन्यवाद
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Gunjan Kamal
10-Mar-2022 11:48 AM
बिल्कुल सही कहा आपने मैम बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Swati Sharma
10-Mar-2022 11:56 AM
आपका हार्दिक आभार
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Zakirhusain Abbas Chougule
10-Mar-2022 02:39 AM
Nice
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Swati Sharma
10-Mar-2022 08:17 AM
Thanks
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